खुद को पहचानने का हुनर है ज़िंदगी

खुद को पहचानने का हुनर है ज़िंदगी हमने सुना था

कुछ कर गुज़रने का जुनून है ज़िंदगी हमने  सुना था

रातों को सपने तो सभी देखा करते हैं,

दिन के उजाले में उन सपनों को पूरा करने का सफर है ज़िंदगी हमने सुना था

सुना सबकुछ लेकिन दिन सिर्फ सोच में ही बिता दिए

बहुत कुछ पाने के लालच में जेब के चंद सिक्के भी गंवा दिए

जोश-जोश में नादानी को हुनर समझ बैठे

और फिर अपनी नाकामयाबी का इल्ज़ाम खुदा पर लगा

इतने से अभी दिल कहां भरा था

कामयाबी चखनी थी, क्योंकि सपनों का आकार बहुत बड़ा था.

फिर एक कोशिश की, इरादों को सही ठिकाने पर लगा दिया

और इस बार नाकामयाबी के डर से पहले से ही इल्ज़ाम किस्मत पर लगा दिया

कोशिश करने वालों की हार नहीं होती, इस सीख को रट्ट तो लिया था

लेकिन उन कोशिशों में ज़िंदगी क्या से क्या बन जाएगी, इसका जवाब उस किताब में नहीं था

मंजिल की तलाश में अकेले ही चलते चले गए

कामयाबी, जुनून, सपने इन शब्दों के मायने तलाशते ही रह गए

इस सफर  चलते चलते एक बात भूल सी गया था

सिर्फ और सिर्फ सोच अगर कामयाब बनाती तो मेरा पनवाड़ी अंबानी क्यों नहीं बन गया

कामयाबी का सिर्फ एक ही फलसफा है

एक सपने को जुनून, उस जुनून को एक सोच और फिर उस सोच को मेहनत से जो सींच पाया है

वही कामयाबी की दास्तान लिख पाया है….